![]() |
भारत में राजपूतों की कुल जनसंख्या (Total Population OF Rajput In India) |
Rajput News: राजपूत (Rajput) भारत के इतिहास, संस्कृति और राजनीति में एक महत्वपूर्ण समुदाय रहे हैं। "राजपुत्र" (son of a king) शब्द से उत्पन्न, राजपूतों का नाम योद्धा वर्ग (warrior caste) और शाही वंशों (royal lineages) से जुड़ा हुआ है। भारत में राजपूतों की जनसंख्या (population) का सटीक आंकड़ा देना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि भारत सरकार ने 1931 के बाद जाति-आधारित जनगणना (caste-based census) नहीं की है। फिर भी, हाल के अनुमानों, सामाजिक सर्वेक्षणों (social surveys), और क्षेत्रीय आंकड़ों के आधार पर हम राजपूतों की जनसंख्या का एक व्यापक अनुमान प्रस्तुत करेंगे। यह लेख भारत में राजपूतों की कुल जनसंख्या, उनके भौगोलिक वितरण (geographical distribution), सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव (socio-political influence), और हाल के रुझानों (recent trends) पर गहराई से प्रकाश डालेगा।
राजपूत जनसंख्या का ऐतिहासिक संदर्भ (Rajput Population)
राजपूतों का उद्भव 11वीं शताब्दी (11th century) में "राजपुत्र" शब्द के साथ हुआ, जो शुरू में शाही अधिकारियों (royal officials) के लिए गैर-वंशानुगत पदनाम था। समय के साथ, यह शब्द एक सामाजिक समूह (social group) के रूप में स्थापित हुआ, जिसमें विभिन्न जातीय और भौगोलिक पृष्ठभूमि (ethnic and geographical backgrounds) के लोग शामिल हुए। 16वीं और 17वीं शताब्दी तक, राजपूत वंशानुगत (hereditary) हो गए, और उन्होंने उत्तर, मध्य, और पश्चिमी भारत (North, Central, and Western India) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इतिहासकार ब्रजदुल चट्टोपाध्याय (Brajadulal Chattopadhyaya) के अनुसार, 12वीं शताब्दी तक राजपूत शब्द किलेबंद बस्तियों (fortified settlements) और भूमि से जुड़े कुलों (land-based clans) से संबंधित था। कुछ विद्वान, जैसे कर्नल जेम्स टॉड (Colonel James Tod), राजपूतों को विदेशी सीथियन (Scythian) या हूण (Huns) मूल का मानते हैं, जबकि अन्य, जैसे गौरी शंकर ओझा (Gauri Shankar Ojha), उन्हें प्राचीन क्षत्रियों (ancient Kshatriyas) का वंशज मानते हैं। इस ऐतिहासिक विवाद के बावजूद, राजपूतों की जनसंख्या विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुई है, जिसमें राजस्थान (Rajasthan), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh), बिहार (Bihar), और हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) शामिल हैं।
हाल के अनुमान: भारत में राजपूतों की कुल जनसंख्या (Total Population OF Rajput In India)
हाल के अनुमानों के अनुसार, भारत में राजपूतों की जनसंख्या 4.5 से 7.5 करोड़ (45 to 75 million) के बीच मानी जाती है, जो देश की कुल आबादी का लगभग 3.5% से 5.5% है। यह अनुमान विभिन्न स्रोतों, जैसे क्षेत्रीय सर्वेक्षण (regional surveys), सामाजिक संगठनों (social organizations), और अनौपचारिक आंकड़ों पर आधारित है। उदाहरण के लिए, एक वेबसाइट (gkexams.com) के अनुसार, भारत में राजपूतों की जनसंख्या लगभग 4.33 करोड़ (43.35 million) है, जिसमें उत्तर प्रदेश में 1.13 करोड़ (11.36 million), मध्य प्रदेश में 57.23 लाख (5.723 million), और राजस्थान में 55.45 लाख (5.545 million) शामिल हैं। दूसरी ओर, कुछ समाचार स्रोत, जैसे भास्कर (Bhaskar), दावा करते हैं कि राजपूतों की जनसंख्या 7.5 करोड़ तक हो सकती है, जो देश की कुल आबादी का 5% है।
एक्स (X) पर हाल के पोस्ट में भी राजपूतों की जनसंख्या को लेकर चर्चा देखी गई है। एक उपयोगकर्ता (@Jadoun2002
) ने दावा किया कि 1931 में राजपूतों की जनसंख्या 3.98% थी, और 1947 के बाद हुए प्रवास (migration) के कारण यह अब 4.5% से कम नहीं है, यानी 6 से 6.5 करोड़ के बीच। हालांकि, ये आंकड़े अनौपचारिक हैं और इनकी पुष्टि के लिए आधिकारिक जनगणना की आवश्यकता है। बिहार की 2023 की जातिगत गणना (caste census) के अनुसार, राज्य में राजपूतों की जनसंख्या 45.10 लाख (4.51 million) है, जो कुल आबादी का 3.45% है। यह क्षेत्रीय डेटा राष्ट्रीय स्तर पर अनुमान लगाने में सहायक है।
राज्यवार राजपूत जनसंख्या (Statewise Rajput Population)
राजपूत जनसंख्या का वितरण भारत के विभिन्न राज्यों में असमान है। निम्नलिखित कुछ प्रमुख राज्यों में राजपूतों की अनुमानित जनसंख्या है:
उत्तर प्रदेश: यहाँ राजपूतों की जनसंख्या सबसे अधिक मानी जाती है, लगभग 1.13 करोड़ (11.36 million)। राजपूत यहाँ सामाजिक और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली (politically influential) हैं, और वीर बहादुर सिंह (Veer Bahadur Singh) जैसे नेताओं ने उनकी स्थिति को मजबूत किया है।
- राजस्थान: राजस्थान में राजपूतों की जनसंख्या 55 से 58 लाख (5.5 to 5.8 million) के बीच है, जो राज्य की कुल आबादी का 8-10% है। यहाँ राजपूतों का राजनीतिक प्रभुत्व (political dominance) उल्लेखनीय है, और भैरोसिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat) जैसे नेता इसका प्रतीक हैं।
- मध्य प्रदेश: यहाँ राजपूतों की जनसंख्या लगभग 57.23 लाख (5.723 million) है।
- बिहार: बिहार में राजपूतों की जनसंख्या 45.10 लाख (4.51 million) है, जो 3.45% है।
- हिमाचल प्रदेश: यहाँ राजपूतों की जनसंख्या 32.72% है, जो सवर्ण आबादी (upper caste population) का एक बड़ा हिस्सा है।
- हरियाणा: हरियाणा में राजपूतों की जनसंख्या लगभग 11% है, यानी 31 लाख (3.1 million) के आसपास।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि राजपूत उत्तर भारत में विशेष रूप से प्रभावशाली हैं, लेकिन उनकी उपस्थिति दक्षिणी और पूर्वी भारत (Southern and Eastern India) में भी देखी जाती है।
राजपूतों का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
राजपूतों की जनसंख्या भले ही कुल आबादी का एक छोटा हिस्सा हो, लेकिन उनका सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव (socio-political influence) इससे कहीं अधिक है। राजस्थान में, राजपूत 14-15% विधानसभा सीटों (assembly seats) और 15-20% लोकसभा सीटों (parliamentary seats) पर प्रभाव डालते हैं। उत्तर प्रदेश में, 1990 के दशक तक राजपूत राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहे, और विश्वनाथ प्रताप सिंह (Vishwanath Pratap Singh) जैसे राजपूत नेताओं ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव डाला। बिहार, हिमाचल प्रदेश, और हरियाणा में भी राजपूत नेतृत्व (Rajput leadership) देखा जाता है।
हाल के वर्षों में, राजपूतों ने सामाजिक एकजुटता (social unity) और राजनीतिक प्रतिनिधित्व (political representation) के लिए संगठन बनाए हैं। उदाहरण के लिए, राजस्थान में श्रीक्षत्रिय युवक संघ (Shri Kshatriya Yuvak Sangh) ने 2021 में लाखों राजपूतों को एकत्र किया, जिससे उनकी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन हुआ। इसके अलावा, फिल्म "पद्मावती" (Padmavati) के खिलाफ 2017 में राजपूत संगठनों, जैसे करणी सेना (Karni Sena), ने व्यापक प्रदर्शन किए, जिसने उनकी सांस्कृतिक पहचान (cultural identity) और संगठनात्मक शक्ति को उजागर किया।
हाल के रुझान और चुनौतियाँ
हाल के वर्षों में, राजपूत समुदाय ने अपनी जनसंख्या और प्रभाव को लेकर कई मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है। एक्स (X) पर चर्चाएँ दर्शाती हैं कि राजपूत अपनी आबादी को कम करके आंका गया मानते हैं, और वे अधिक सटीक आंकड़ों के लिए जाति-आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, राजपूत युवा सामाजिक एकता (social unity) और आर्थिक विकास (economic development) पर जोर दे रहे हैं।
2023 में, राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Elections) में राजपूत वोटों की भूमिका चर्चा में रही। बीजेपी (BJP) ने भैरोसिंह शेखावत की जन्मशती (birth centenary) के बहाने राजपूत वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश की, लेकिन टिकट वितरण (ticket distribution) को लेकर विवाद भी हुआ। बिहार में, जातिगत गणना (caste census) ने राजपूतों की स्थिति को स्पष्ट किया, जिससे उनकी राजनीतिक रणनीति (political strategy) में बदलाव देखा गया।
निष्कर्ष
भारत में राजपूतों की जनसंख्या 4.5 से 7.5 करोड़ के बीच अनुमानित है, जो देश की कुल आबादी का 3.5% से 5.5% है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, और बिहार जैसे राज्यों में उनकी उपस्थिति सबसे मजबूत है। राजपूत न केवल ऐतिहासिक रूप से योद्धा वर्ग (warrior class) के रूप में जाने जाते हैं, बल्कि आधुनिक भारत में भी उनकी सामाजिक और राजनीतिक प्रासंगिकता (socio-political relevance) बरकरार है। हाल के रुझान, जैसे जाति-आधारित गणना की मांग और सामाजिक एकजुटता के प्रयास, दर्शाते हैं कि राजपूत समुदाय अपनी पहचान और प्रभाव को और मजबूत करने की दिशा में अग्रसर है। अधिक सटीक आंकड़ों के लिए भविष्य में जाति-आधारित जनगणना (caste-based census) आवश्यक होगी, जो इस समुदाय की स्थिति को और स्पष्ट करेगी।
0 Comments