अब समय आ गया है मुंहतोड़ जवाब देने का – हनुमान बेनीवाल के बयान से आहत राजपूत समाज ने खोल दिया मोर्चा

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हनुमान बेनीवाल के विवादित बयान पर राजपूत समाज में उबाल! क्षत्रिय करणी सेना ने स्वाभिमान सम्मेलन की घोषणा की। जानिए पूरी ख़बर, राजपूत समाज की प्रतिक्रिया और अगला कदम।


जयपुर – राजस्थान की राजनीतिक फिजा में इन दिनों हलचल तेज है। इसकी वजह बना है एक विवादित बयान, जिसने पूरे राजपूत समाज को झकझोर दिया है। नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने हाल ही में एक जनसभा में कहा कि “राजस्थान में कभी युद्ध नहीं हुए, यहां हमेशा सेटलमेंट हुआ है।”

यह बात सुनते ही क्षत्रिय समाज में आक्रोश की लहर दौड़ गई। राजपूत समाज, जो अपने गौरवपूर्ण इतिहास, बलिदान और रणभूमि में लड़े गए अनगिनत युद्धों के लिए जाना जाता है, इस बयान को अपने आत्म-सम्मान और विरासत पर सीधा हमला मान रहा है।


क्षत्रिय करणी सेना ने दिया चेतावनी भरा जवाब


राजस्थान भर में गूंज उठी आवाज – “अब बहुत हो गया!”


क्षत्रिय करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत ने बेनीवाल के बयान की तीखी आलोचना करते हुए कहा:


“यह पहली बार नहीं है जब किसी ने हमारे स्वाभिमान को चुनौती दी है, लेकिन अब समय आ गया है कि इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाए। हमारे पूर्वजों ने जो बलिदान दिए हैं, उन्हें यूं मिटा देने की कोशिश कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

 

उन्होंने घोषणा की कि 8 जून को दोपहर 2 बजे नागौर में ‘स्वाभिमान अस्मिता महासम्मेलन’ का आयोजन किया जाएगा। शेखावत ने यह भी कहा कि इस सम्मेलन में निर्णय लिया जाएगा कि अगला कदम क्या होगा – “इतिहास रचेंगे या खुद इतिहास बन जाएंगे।”


हनुमान बेनीवाल के बयान में जातीय उकसावे की बू?


बेनीवाल के केवल इतिहास को लेकर दिए बयान ही नहीं, बल्कि उनके जातिगत टिप्पणियों ने भी गहरी चोट पहुंचाई है। हाल ही में एक सभा में उन्होंने कहा:


“देश में तुम अकेले क्षत्रिय नहीं हो, यह गलतफहमी निकाल दो। जाट, यादव, गुर्जर, पटेल, पाटिल और मराठा भी क्षत्रिय हैं। अंत में तुम्हारा नंबर आता है।”

 

इस बयान को क्षत्रिय समाज ने केवल अपमानजनक ही नहीं, बल्कि विभाजनकारी भी माना है। समाज के नेताओं का कहना है कि ऐसे बयान जानबूझकर एक विशेष समुदाय को नीचा दिखाने और समाज को बांटने के उद्देश्य से दिए जाते हैं।


भाजपा और कांग्रेस – दोनों पर साधा निशाना


बेनीवाल ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह लगातार समाज को जातियों में बांट रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने गुर्जर और मीणा समाज को लड़ाया और अब जाट और राजपूतों में दरार डालने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस को भी उन्होंने “शोर मचाने वाला संगठन” बताते हुए तंज कसा।

लेकिन अब सवाल यह है कि इन तमाम बयानों से क्या वह आग भड़क चुकी है, जिसे बुझाना किसी के वश की बात नहीं?


युवा वर्ग में उबाल – इतिहास को मिटाना नहीं होगा आसान


राजस्थान के युवाओं में भी भारी रोष देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर #RajputSwabhimaan ट्रेंड कर रहा है। कई युवाओं ने वीडियो संदेश के माध्यम से कहा है कि वे अपने पूर्वजों के बलिदान को किसी भी सूरत में झुठलाने नहीं देंगे।


राजपूत समाज की बेटियां भी इस लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हो गई हैं। एक युवती ने कहा:


“हम रानी पद्मिनी, दुर्गावती, और झलकारी बाई की परंपरा से आते हैं। हम किसी को अपने इतिहास से खेलने नहीं देंगे।”

 



आइए, हम सब मिलकर इतिहास को मिटने से बचाएं और नई पीढ़ी को गौरवशाली विरासत सौंपें।”


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